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मुगलसराय के बाद सदर कोतवाली पुलिस पर प्रतिमाह लाखों रुपये अवैध वसूली का सनसनीखेज आरोप, ट्विटर के जरिए सीधे सीएम से शिकायत

चंदौली। पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकला है। अबकी सदर कोतवाली पुलिस पर अवैध वसूली के आरोप लगे हैं। रक्षक जन मोर्चा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पारुल यादव ने ट्विटर के जरिए सीएम, डीजीपी और एडीजी जोन से लिखित तौर पर शिकायत की है। आरोप है कि कोतवाली प्रभारी, एसएसआई और कुछ सिपाही अवैध कार्यों के बदले प्रतिमाह लाखों रुपये की अवैध वसूली कर रहे हैं।

प्रतिमाह लाखों रुपये की अवैध वसूली का आरोप
जन रक्षक मोर्चा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पारुल यादव का आरोप है कि सदर कोतवाल, थाने का एक एसएसआई और दो-तीन सिपाही मिलकर प्रतिमाह लाखों रुपये की अवैध वसूली करते हैं। गो तस्करों से प्रति ट्रक पांच हजार और पिकअप से दो हजार, शराब की दुकानों से तकरीबन एक लाख, होलसेल सिगरेट कारोबारियों से 10 हजार और राइस मिलों से 12 सौ रुपये प्रतिमाह की वसूली की जा रही है। इसी तरह भांग की दुकानों पर गांजा की बिक्री के लिए 65 हजार और बोगा चालकों से प्रति ट्रैक्टर 25 सौ रुपये लिए जाते हैं। आरोप लगाया है कि सदर कोतवाली का ड्राइवर भी इसमें शामिल है। कुछ दिन पहले उसका स्थानांतरण चकरघट्टा कर दिया गया था लेकिन बाद में एसपी ने उसका ट्रांसफर अचानक रोक दिया। प्रकरण की जांच कराकर दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है।

मुगलसराय कोतवाली पुलिस की अवैध वसूली लिस्ट हुई थी वायरल
कुछ साल पहले मुगलसराय कोतवाली पुलिस की अवैध वसूली लिस्ट वायरल हुई थी। तत्कालीन कोतवाल शिवानंद मिश्रा और एसपी हेमंत कुटियाल पर आरोप लगे थे। शासन ने इसे संज्ञान में लिया और एसपी तथा इंस्पेक्टर को जिले से हटा दिया गया। मामला अभी भी न्यायालय में है। हालांकि अभी तक इंस्पेक्टर शिवानंद मिश्रा के खिलाफ न्यायालय को ठोस साक्ष्य नहीं मिल सके हैं।

पुलिस विभाग के कारखास बन जाते हैं भस्मासुर, खड़ी करते हैं फजीहत
सूत्रों की माने को अवैध वसूली लिस्ट वायरल करने में कारखासों का हाथ होता है। कारखासों को अवैध वसूली की छूट मिली होती है। कोई थाना प्रभारी जब इन्हें छेड़ने की कोशिश करता है या ट्रांसफर होता है तो ये अपने ही विभाग के लिए भस्मासुर बन जाते हैं। हालांकि पुलिस विभाग में कारखास का चलन काफी पुराना है। मुगलसराय कोतवाली पुलिस की अवैध वसूली लिस्ट वायरल करने के पीछे विभाग के ही कुछ सिपाहियों का हाथ था। बर्खास्त आरक्षी अनिल सिंह ने सूची को वायरल करने में अहम भूमिका निभाई। सूत्रों की माने तो सदर कोतवाली में तैनात एक होमगार्ड अवैध वसूली में लिप्त था। कई दफा शिकायत मिलने के बाद कोतवाली ने इसे हटा दिया। इसके बाद ही सदर कोतवाली पुलिस के अवैध वसूली का मामला सामने आया और बात ट्विटर के जरिए सीएम तक पहुंची। हालांकि आरोपों की जांच अभी बाकी है।

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