
चंदौली। भारत में घरेलू देनदारियां लगातार बढ़ रही हैं। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश की देनदारियां 12.1% की दर से बढ़ीं और अब यह जीडीपी के 41% तक पहुंच गई हैं। यानी आम घरों पर कर्ज़ का बोझ पहले से कहीं ज़्यादा है। देश और दुनिया के अन्य देशों में पूंजी के असामान्य वितरण पर अपनी राय दे रहे LTP Calculator Financial Technology Pvt. Ltd एवं Daddy’s International School & Hostel, बिशुनपुरा कांटा, चंदौली के संस्थापक डॉ. विनय प्रकाश तिवारी।
पिछले एक दशक में अमेरिका ने दुनिया की 47% संपत्ति अपने पास इकट्ठी की, चीन ने 20%, जबकि पश्चिमी यूरोप को 12% हिस्सा मिला। रिपोर्ट साफ़ कहती है कि तमाम चुनौतियों के बावजूद अमेरिका की वैश्विक आर्थिक पकड़ आज भी सबसे मज़बूत बनी हुई है।
भारत की घरेलू संपत्ति में शेयरों की हिस्सेदारी सिर्फ़ 13% है। जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 59% और यूरोप में 35% है। यही वजह है कि भारत में लोग आज भी नौकरी और मेहनत पर निर्भर रहते हैं, जबकि विकसित देशों में पैसा ही पैसे को बढ़ाने का काम करता है।
रिपोर्ट का सबसे बड़ा निष्कर्ष यही है कि
- भारत में लोग काम करके दौलत बनाते हैं।
- अमेरिका में पैसा खुद दौलत बढ़ाने में सहायक बन जाता है।
यानी वहां निवेश और पूंजी से कमाई ज्यादा होती है, यहां मेहनत से
भारत में आर्थिक असमानता तेज़ी से बढ़ रही है। साल 2024 तक देश की कुल 65% दौलत सिर्फ़ सबसे अमीर 10% लोगों के पास केंद्रित हो गई। इसका मतलब है कि मध्यवर्ग और गरीब वर्ग के लिए ऊपर उठना और कठिन होता जा रहा है।
भारत की ग्रोथ स्टोरी चमकदार दिखती है, लेकिन हकीकत यह है कि संपत्ति का बड़ा हिस्सा अब भी चुनिंदा लोगों तक सीमित है। कर्ज़ बढ़ रहा है, शेयर बाज़ार में निवेश कम है और दौलत का असमान बँटवारा लगातार गहराता जा रहा है। अगर लोगों को सशक्त बनाना है तो ज़रूरी है कि घरेलू बचत को प्रोडक्टिव एसेट्स और इक्विटी में लगाने की आदत बढ़ाई जाए।
Disclaimer: म्यूचुअल फंड और शेयर बाज़ार निवेश बाज़ार जोखिमों के अधीन हैं। यहां दिए गए आंकड़े और उदाहरण रिपोर्ट पर आधारित हैं। भविष्य की स्थिति अनिश्चित हो सकती है। निवेश का निर्णय लेने से पहले SEBI-रजिस्टर्ड वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।