
यूरोपीय संघ (EU) द्वारा भारत से होने वाले आयात पर 100% टैरिफ लगाने की चर्चा हाल ही में सुर्खियों में रही। वजह यह बताई जा रही है कि भारत रूस से तेल की खरीद जारी रखे हुए है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध को फंडिंग मिलती है। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह का कदम पूरी तरह लागू होना मुश्किल है, लेकिन इसकी संभावना ने वैश्विक व्यापार, कूटनीति और भारत की निर्यात अर्थव्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मुद्दे पर LTP Calculator Financial Technology Pvt. Ltd & Daddy’s International School & Hostel, बिशुनपुरा, कांटा, चंदौली के फाउंडर विनय प्रकाश तिवारी ने इसके दुष्प्रभावों पर अपनी राय दी है।
क्यों है यह मुद्दा अहम
अगर EU वास्तव में 100% टैरिफ लगाता है तो भारतीय वस्तुओं की लागत यूरोपीय बाजारों में दोगुनी हो जाएगी। इससे भारतीय निर्यात बेहद महंगे और गैर-प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे। वस्त्र, कृषि, दवाइयाँ, आईटी हार्डवेयर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। इस तरह का कदम भारत को भी प्रतिशोधी कदम उठाने पर मजबूर कर सकता है और हालात एक व्यापारिक युद्ध का रूप ले सकते हैं। चूंकि EU भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है, इसलिए दांव बहुत ऊंचे हैं।
कानूनी और व्यावहारिक बाधाएं
- EU मनमाने तरीके से टैरिफ नहीं लगा सकता। WTO और व्यापारिक कानूनों के तहत जाँच और सबूत पेश करना ज़रूरी है।
- EU और भारत इस समय मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत कर रहे हैं, जिस पर इस तरह का कदम सीधा असर डालेगा।
- राजनीतिक रूप से भी सभी EU सदस्य देश इस पर सहमत नहीं होंगे, क्योंकि कई देश भारतीय वस्तुओं पर निर्भर हैं।
भारत पर संभावित असर
- निर्यात में गिरावट: अगर टैरिफ लागू होता है तो अरबों डॉलर के निर्यात पर सीधा असर होगा।
- नए बाज़ारों की तलाश: भारत अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया पर ज़्यादा ध्यान दे सकता है।
- नीतिगत बदलाव: सरकार निर्यातकों को राहत देने के लिए सब्सिडी या प्रोत्साहन योजनाएँ ला सकती है और अन्य देशों से व्यापार को और मजबूत कर सकती है।
- निवेशकों पर असर: शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, खासकर उन कंपनियों में जो निर्यात पर निर्भर हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रस्ताव ज्यादातर एक राजनीतिक दबाव का संकेत है, न कि वास्तव में लागू होने वाली नीति। 100% टैरिफ लगाने से यूरोपीय कारोबारियों को भी नुकसान होगा, क्योंकि भारत उन्हें सस्ते वस्त्र, दवाइयां और आईटी सेवाएं उपलब्ध कराता है। ज़्यादा संभावना यही है कि EU कुछ चुनिंदा सेक्टरों या प्रोडक्ट्स पर ही सख़्त नियम या सीमित टैरिफ लगाए, न कि हर वस्तु पर।