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chandauli news: तीन सौ क्विंटल काला धान बिक गया किसानों को पता ही नहीं, पूर्व विधायक ने खोली झोल की पोल, सात दिन बाद हल्लाबोल

चंदौली। मंडी समिति के गोदाम में जिले के दो सौ किसानों का लगभग आठ सौ क्विंटल काला धान खरीदार की बाट जोह रहा है। तीन सौ क्विंटल धान बिक भी गया लेकिन किसानों को इसकी जानकारी तक नहीं है। पैसा काला चावल कृषक समिति के अध्यक्ष ने अपनी दूसरी संस्था के खाते में मंगा लिया है। यह झोल तकरीबन 35 से 40 लाख रुपये का है। यह आरोप है पूर्व विधायक व सपा नेता मनोज सिंह डब्लू का। शुक्रवार को किसानों के साथ मंडी समिति पहुंचे पूर्व विधायक ने खुले तौर पर यह ऐलान कर दिया कि एक सप्ताह के भीतर तीन  काला धान की खरीद का भुगतान नहीं हुआ तो न सिर्फ सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे बल्कि समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाएंगे। इस आशय का पत्रक सदर तहसीलदार को सौंपा।

पूर्व विधायक ने काला धान कृषक समिति के महासचिव वीरेंद्र सिंह से काला धान के सापेक्ष किसानों को होने वाले भुगतान में आ रही दिक्कतों को जाना। इस दौरान किसानों से जानकारी मिली कि नवीन मंडी के गोदाम में रखे 1200 कुंतल धान में से करीब 400 कुंतल धान की बिक्री किसानों को बिना सूचना के ही कर दिया। 100 क्विंटल धान बिक्री का पैसा तो कृषक समिति के खाते में आ गया है लेकिन तीन सौ क्विंटल धान का पैसा समिति के अध्यक्ष काला चावल को लेकर बनाई गई अन्य संस्था के खाते में मंगा लिया है। काला धान किर दर पर व्यापारियों को बेचा गया इसकी जानकारी भी किसानों को नहीं दी गई। मनोज सिंह डब्लू ने कहा कि काला धान की पहचान को जिला प्रशासन, शासन ने चंदौली पहचान से जोड़कर इसे देश ही नहीं विश्व पटल पर ख्याति प्राप्त कराने का काम किया।एक जनपद, एक उत्पाद योजना के तहत जिले के अधिकारियों ने चंदौली के किसानों को प्रेरित करके इसकी खेती को अपनाने का आह्वान किया था। अफसरों का यह तर्क था कि इसकी खेती अपनाने से किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिलेगी। इन्हीं उम्मीदों व आकांक्षाओं के साथ आकांक्षी जनपद चंदौली के किसानों ने काला धान की खेती की। दुर्भाग्यपूर्ण यह कि काला धान की फसल सिवान से कटकर खलिहान तो पहुंची, लेकिन बड़े-बड़े दावों के विपरीत जिला प्रशासन व शासन ने इसकी खरीद करने में हाथ खड़े कर दिए। लम्बे समय तक 1200 कुंतल काला धान मंडी के गोदाम में पड़ा रहा। हाल फिलहाल यह सूचना मिल रही है कि उसमें से 400 कुंतल धान को बेच दिया गया है, लेकिन किसानों को एक पैसे का भुगतान नहीं हुआ। लिहाजा एक सप्ताह के अंदर एक रेसियो निर्धारित कर किसानों का भुगतान किया जाए। साथ ही जो काला धान बेचने से रह गया है उसे एक माह के अंदर खरीद करना सुनिश्चित किया जाए। मांग किया कि काला धान को सामान्य धान की तरह क्रय केन्द्रों के जरिए खरीद की जाए। साथ ही किसानों के धान की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित की जाए और उसका कड़ाई के साथ पालन हो।

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