
चंदौली। यह महज़ एक खबर नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र के मुंह पर करारा तमाचा है। चकिया विकास खंड के हिनौती उत्तरी गांव का चुल्लहन आज भी राशन कार्ड के लिए दफ्तरों की चौखट घिस रहा है, लेकिन सप्लाई विभाग की संवेदनहीन मशीनरी पर उसका दर्द कोई असर नहीं डाल रहा। योजनाएं कागज़ों में दमक रही हैं और ज़मीन पर एक बेसहारा इंसान भूख से जूझ रहा है।
विडंबना देखिए, कुछ ही दिन पहले चुल्लहन की पत्नी शांति की ठंड से मौत हो गई। न संतान, न परिवार, न कोई कमाने वाला। ऐसे समय में सरकारी राशन जीवन रेखा होना चाहिए था, लेकिन सप्लाई विभाग की लापरवाही ने उस जीवन रेखा को भी काट दिया। बार-बार आवेदन, गुहार और फरियाद के बाद भी राशन कार्ड जारी न होना बताता है कि यहां व्यवस्था नहीं, बल्कि बेरुखी राज कर रही है।
सवाल यह है कि क्या गरीब का पेट भरना सप्लाई विभाग की जिम्मेदारी नहीं, क्या योजनाएं सिर्फ रिपोर्ट और फोटो के लिए हैं, अगर एक विधवा की मौत के बाद भी विभाग नहीं जागता, तो फिर ऐसे तंत्र का क्या औचित्य, जो ज़रूरतमंद को हक देने से पहले उसकी सांसें गिनने लगे।
यह मामला केवल चुल्लहन का नहीं, बल्कि उस व्यवस्था का आईना है जहां फाइलें ज़िंदा हैं और इंसान मर रहे हैं। अब भी अगर जिला प्रशासन ने तत्काल राशन कार्ड जारी कर जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की, तो यह साफ माना जाएगा कि भूख, मौत और लापरवाही तीनों की जिम्मेदारी सप्लाई विभाग खुद ले रहा है।

