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Chandauli News : अन्नदाता पुआल से बनाएं कंपोस्ट खाद, बढ़ेगी उर्वरा शक्ति

चंदौली : धान के कटोरे के अन्नदाता पुआल से कंपोस्ट खाद बनाएं। इससे फसल अवशेष जलाने से हो रहे नुकसान से राहत तो मिलेगी ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी। साथ ही उत्पादन बढ़ाने को किए जा रहे अंधाधुंध रासायनिक उर्वरक के प्रयोग पर भी अंकुश लगेगा।

कृषि प्रधान जनपद के किसान अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक कृषि प्रणाली अपना रहे हैं। फसल में पोषक तत्वों की पूर्ति व सुरक्षा के लिए अंधाधुंध तरीकाें से रासानयिक उर्वरकों व दवाएं डाल रहे हैं। ऐसी स्थिति में हमारी मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। इस चुनौती से निबटने के लिए कृषि जन्य अवशेषों एवं अन्य जैविक कचरे का कंपोस्ट बनाकर उसका उचित प्रबंधन करने के लिए कृषि विभाग की ओर से किसानों को प्रेरित किया जा रहा है, ताकि पुआल से कंपोस्ट बनाकर उसका लाभ लिया जा सके।

धान के पुआल का फायदा
धान के पुआल को सीधा खेत में ही जोत दिया जाए तो वह धीरे-धीरे सड़ना आरंभ हो जाता है। इसके अंदर मौजूद पोषक तत्व मिट्टी से मिलकर उसकी उर्वरा शक्ति बढ़ाने में सहायक हो जाते हैं। साथ ही पुआल से कंपोस्ट खाद बनाई जा सकती है, जो खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में अधिक सहायक तो होगी ही सूक्षम जीवों के निर्वहन के लिए पर्याप्त मात्रा में जीवांश कार्बन भी उपलब्ध हो जाएगा। धान के पुआल में पाए जाने वाले घटकों में सिलिका 11-15 प्रतिशत, लिगनिन 12 फीसद, सेलूलोज 40, हेमिसेलूलोज 20, निम्न पाचन शक्ति 40 व उच्च कार्बन नत्रजन 90.1 फीसदी होती है।

 

पुआल से कैसे बनेगी कंपोस्ट
धान के पुआल से कंपोस्ट खाद बनाने के लिए दस मीटर लंबा , एक मीटर चौड़ा व एक मीटर गहरा गडढा बनाते हैं। इसमें आ-आठ इंच मोटा पुआल की परत लगाकर पुआल का ढेर लगाकर पानी छिड़कर नम कर दें। खाद को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए राक फास्फेट एक प्रतिशत व पाइराट दस प्रतिशत का मिश्रण प्रत्येक परत/ गठठर पर डालते हैं। अथवा धान का पुआल आठ इंच गोबर की सड़ी खाद एक इंच,गोबर का घोल 1/2 इंच व खेत की मिट्टी 1/2 क्रमश: रखकर प्रभावशाली एवं पोषक युक्त कंपोस्ट खाद बनकर तैयार हो जाती है।

 

पुआल जलाने से हानि
धान का पुआल अथवा फसल अवशेष में 51.76 फीसद आर्गेनिक कार्बन, 0.65 फीसद नत्रजन, 0.20 फीसद फास्फोरस एवं 0.30 प्रतिशत पोटास होता है। इसे जलाने से पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। वहीं जलाने के दौरान जहरीली गैस जैसे कार्बन डाइआक्साइड, मीथेन, एरोसेल आदि निकलती हैं। ये गैस हवा को प्रदूषित कर देती हैं। इससे वातावरण प्रदूषित हो जाता है।

वर्जन
किसानों को पुआल से कंपोस्ट बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि फसल अवशेष का प्रबंधन किया जा सके।
विनोद कुमार यादव, जिला कृषि अधिकारी

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