
चंदौली। नशीले कफ सिरप की डिमांड पश्चिम बंगाल और बांग्ला देश में काफी अधिक है। दोनों जगहों पर कफ सिरप की तस्करी से तस्करों को मोटी कमाई होती है। कफ सिरप की तस्करी में गिरफ्तार जनपदवासी एसटीएफ के बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह ने एसटीएफ की पूछताछ में गहरे राज उगले हैं। उसने बताया कि किस तरह से कफ सिरप की तस्करी के रैकेट में शामिल हुआ और किस तरह कुछ दिनों में तस्करी के इस खेल का माहिर खिलाड़ी बन गया।
उसने एसटीएफ को बताया कि विकास सिंह के माध्यम से मेरा परिचय शुभम जायसवाल पुत्र भोला प्रसाद निवासी कायस्थ टोला प्रहलाद घाट वाराणसी से हुआ था। विकास सिंह ने बताया था कि शुभम जायसवाल का एबॉट कंपनी की फेन्सेडिल कफ सिरप का शैली ट्रेडर्स के नाम से बड़ा कारोबार रांची, झारखंड में है। कोडीन युक्त फेन्सेडिल कफ सिरप नशे के रूप में प्रयोग होता है, जिसकी काफी डिमांड पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में है। इसकी तस्करी में बहुत फायदा है। अगर उसके धंधे में कुछ पैसे लगाओगे तो काफी आमदनी होगी, इस पर लालच में आकर तैयार हो गया और साथी
अमित कुमार सिंह उर्फ अमित टाटा को भी बताया तो वह भी तैयार हो गया। अमित टाटा को एसटीएफ द्वारा पूर्व में गिरफ्तार किया जा चुका है। हम दोनों ने विकास सिंह के माध्यम से शुभम जायसवाल व उसके पार्टनर वरुण सिंह, गौरव जायसवाल व विशाल मेहरोत्रा के साथ बातचीत की और उन लोगों ने धनबाद में मेरा श्रेयसी मेडिकल एजेंसी के नाम से जनवरी 2024 में फर्म बनवा दी। फर्म का सारा लेनदेन शुभम जायसवाल व उसके पार्टनर तथा उसका सी०ए० तुषार देखता था। धनबाद के बिजनेस में मैंने तथा अमित टाटा ने 5-5 लाख रूपये कुल दस लाख रूपये लगाये। मुझको तथा अमित टाटा को इन लोगों ने लगभग 20-22 लाख रुपए दिए। हम लोग धनबाद 2-3 बार ही गये थे। धनबाद, रांची का काम वरूण सिंह देखता था।
इसके बाद इन लोगों के कहने पर हम दोनों के नाम से बनारस में भी ड्रग लाइसेंस लेकर फर्म खुलवाई। मेरे नाम मां शारदा मेडिकल के नाम से फर्म खुलवाई। इसका भी सारा लेन-देन शुभम जायसवाल व उसके साथी देखते थे। बनारस के फर्म में दो-तीन महीने ही फेन्सेडिल का व्यापार होना बताया। उसके बाद एबॉट कंपनी द्वारा फेन्सेडिल कफ सिरप बनाना बंद हो गया। बनारस की फर्म में भी लगभग 8 लाख रुपए का लाभ अलग-अलग समय पर शुभम के पार्टनर विकास सिंह व विशाल मल्होत्रा ने दिया था। रांची, गाजियाबाद में पुलिस एवं एस०टी०एफ० टीम द्वारा इसके गैंग के सौरभ त्यागी, विभोर राणा आदि को गिरफ्तार कर लेने के कारण शुभम जायसवाल अपने परिवार एवं पार्टनर वरुण सिंह, गौरव जायसवाल के साथ दुबई भाग गया है।
आलोक ने बताया कि शुभम जायसवाल व उसके पार्टनर द्वारा हम लोगों के अलावा अन्य काफी लोगों के नाम से भी इसी प्रकार फर्जी फर्म बनवाकर फेन्सेडिल कफ सीरप के कूटरचित बिल और ई-वे बिल तैयार कर फर्जी खरीद बिक्री दिखाकर उसको तस्करों के हाथ बेचकर भारी मुनाफा कमाते हैं। ड्रग लाइसेंस दिया गया अनुभव प्रमाण पत्र एवं शपथ पत्र आदि फर्जी है। हम लोगों ने कभी भी किसी भी दुकान पर काम नहीं किया है। अमित टाटा के पकडे जाने के बाद मैंने कोर्ट में अपना सरेंडर प्रार्थना पत्र डाला था।

