
चंदौली। लगातार बारिश के चलते बांध ओवरफ्लो हो गए हैं। ऐसे में चंद्रप्रभा और मूसाखाड़ बांधों से कर्मनाशा और चंद्रप्रभा नदी में पानी छोड़ा गया है। इससे जिले की दोनों नदियां उफान पर हैं। इससे लगभग डेढ़ दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। वहीं चकिया-पीडीडीयू नगर मार्ग स्थित बबुरी पुल पर पानी ऊपर से बह रहा है। ऐसे में ऐहतियातन मार्ग पर रूट डायवर्जन लागू किया गया है। बड़े वाहनों और चार पहिया वाहनों के आवागमन की अनुमति नहीं है।
पुलिस के अनुसार बबुरी थाना क्षेत्र में जलभराव और नदियों के उफान को देखते हुए प्रशासन ने 23 अगस्त से रूट डायवर्जन लागू कर दिया है। चितौरी चन्द्रप्रभा, मुजफ्फरपुर और नौगढ़ डैम से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद गड़ई व कर्मनाशा नदी उफान पर हैं। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस और प्रशासन सतर्कता बरत रहे हैं।
रूट डायवर्जन प्लान
पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि गोधना चौराहा से किसी भी प्रकार का भारी वाहन, मालवाहक वाहन या चारपहिया वाहन बबुरी होकर चकिया की ओर नहीं जाएगा। इसी प्रकार चकिया से आने वाले सभी वाहन गौडिहार चौराहा से होते हुए जिवनाथपुर, पटनवां और टेंगरा मोड़ मार्ग से वाराणसी व मुगलसराय की ओर भेजे जा रहे हैं। यह व्यवस्था तब तक जारी रहेगी जब तक बाढ़ का पानी घट नहीं जाता।
मुसाहिबपुर बंधी टूटी, गांवों में घुसा पानी
रविवार भोर में चकिया ब्लॉक के मुसाहिबपुर बंधी टूटने से गरला, पीतपुर और पिडियापुर समेत पांच गांवों में पानी घुस गया। ग्रामीणों के खेत और सीवान जलमग्न हो गए हैं। धान की फसलें डूबने की कगार पर हैं, जिससे किसानों में गहरी चिंता है।
बांधों से छोड़ा गया लाखों क्यूसेक पानी
पिछले दो दिनों से लगातार बारिश हो रही है। इसके चलते बांध ओवरफ्लो हो गए हैं। चन्द्रप्रभा डैम से 10 हजार क्यूसेक, चकिया मुजफ्फरपुर वियर से 11 हजार क्यूसेक और चन्द्रप्रभा डैम नौगढ़ से 10 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त मिर्जापुर के अहरौरा बांध से छोड़े गए पानी ने गड़ई नदी को उफान पर ला दिया है।
मूखाखांड़ बांध से छोड़ा गया पानी लतीफशाह डैम के जरिए कर्मनाशा नदी में गिर रहा है। लतीफशाह डैम से पानी छह फुट की ऊँचाई से गिरते हुए उफान पर दिखाई दे रहा है। इस कारण आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में खतरे की आशंका बढ़ गई है।
डेढ़ दर्जन गांवों पर संकट
गड़ई नदी के उफान से बबुरी क्षेत्र के लगभग 15 से अधिक गांव बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं। अभी पानी गांवों के घरों तक नहीं पहुंचा है, लेकिन धान के खेत और सिवान पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं।