
रिपोर्टः जय तिवारी
चंदौली। सपा में परिवारवाद बड़ी समस्या रही है। विरोधी दल पार्टी के इसी परिवार मोह पर निशाना साधते रहे हैं। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में जनता ने जिस तरह परिवारवाद को नकारना शुरू किया उसका क्रम पंचायत चुनाव में भी जारी रहा। सकलडीहा से सपा विधायक प्रभुनारायण यादव के भतीजे को जिला पंचायत चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा तो पूर्व जिलाध्यक्ष बलिराम यादव के छोटे भाई सैयदराजा क्षेत्र के बगहीं गांव से प्रधानी का चुनाव हार गए। समाजवादी पार्टी का प्रमुख चेहरा माने जाने वाले पूर्व सांसद रामकिशुन यादव के परिवार का उनके गांव नियामताबाद के बौरी में 40 साल से चला आ रहा दबदबा भी भतीजे के प्रधानी चुनाव में हार के साथ समाप्त हो गया।
पूर्व सांसद रामकिशुन को हाल के कुछ वर्षों से राजनीति रास नहीं आई है। उन्हें और उनके परिवार को एक के बाद एक राजनीतिक झटके लगते चले जा रहे हैं। यूं भी कह सकते हैं कि खिसकता जनाधार राह का रोड़ा बन रहा है। जिला पंचायत चुनाव में भतीजे मुलायम यादव का टिकट कटा तो नाराज पुत्र सतोष यादव ने न सिर्फ अपना टिकट वापस कर दिया बल्कि चुनाव भी नहीं लड़े। अब पूर्व सांसद के गांव बौरी से उनके भतीजे प्रधानी का चुनाव हार गए हैं। पूर्व सांसद के परिवार का 40 साल से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से ग्राम प्रधान के पद पर कब्जा चला आ रहा था। लेकिन अबकी ग्राम पंचायत के चुनाव में उनके छोटे भाई स्वर्गीय श्याम जी यादव के पुत्र अजय यादव को हार का मुंह देखना पड़ा। गांव के सतीश सिंह ने 345 मतों से चुनाव जीता।
पूर्व सांसद ने आचार संहिता का उल्लंघन कर कराई किरकिरी
पूर्व सांसद रामकिशुन यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जिला पंचायत की मतगणना के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए पूर्व सांसद मतगणना परिसर में बगैर अनुमति समर्थकों के साथ घुस गए और हाईबोल्टेज ड्रामा भी किया। वीडियो वायरल होने के बाद पूर्व सांसद की काफी आलोचना भी हो रही है। बसपा प्रत्याशी के समर्थकों के साथ पूर्व सांसद की कहासुनी और नोकझोंक भी राजनीतिक गलियारे में सुर्खियां बटोर रही है।