
चंदौली। ठंड की पहली दस्तक के साथ ही प्रकृति प्रेमियों की धड़कनें फिर तेज़ हो गई हैं। राजदरी–देवदरी जलप्रपातों की घाटियां एक बार फिर सैलानियों की भारी आमद से गुलज़ार हैं। पहाड़ियों की चट्टानों पर गिरती धूप, झरनों की धुंध, हवा में घुला कोहरा और जंगलों की ताज़ा महक, यह सब मिलकर ऐसा मनमोहक दृश्य रच रहे हैं कि कदम खुद-ब-खुद यहाँ खिंचे चले आ रहे हैं।
ठंड ने खोली पर्यटन की राह, सप्ताहांत पर भारी भीड़
दिसंबर की ठंड बढ़ते ही यहां वीकेंड पर बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचने लगे हैं। सुबह-सुबह गिरती ओस और झरनों से उठती महीन भाप फोटोग्राफी प्रेमियों के लिए किसी स्वप्निल फ्रेम से कम नहीं। पर्यटक बताते हैं कि बारिश के बाद का मौसम राजदरी–देवदरी को अपने चरम सौंदर्य पर पहुंचा देता है, और ठंड इसकी खूबसूरती को दोगुना कर देती है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी लौटी रौनक
सैलानियों की बढ़ती मौजूदगी ने स्थानीय कारोबारियों में भी नई ऊर्जा भर दी है। गाइड, होटल, टैक्सी चालक, फूड स्टॉल से लेकर हस्तशिल्प बेचने वाले दुकानदार, सबके चेहरे पर रौनक लौट आई है।

प्राकृतिक सौंदर्य के बीच खतरे भी,प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ी
भारी भीड़ के साथ चुनौतियाँ भी बढ़ती हैं। राजदरी–देवदरी की खाई और फिसलन भरी चट्टानें जोखिम भरी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षा रस्सों, बैरिकेडिंग और रेस्क्यू टीम की तैनाती को और दुरुस्त करने की जरूरत है, ताकि दुर्घटनाओं को टाला जा सके। पेड़ों पर चढ़कर और खतरनाक किनारों तक जाकर फोटो खिंचवाने का सिलसिला लगातार खतरनाक रूप ले रहा है।
पर्यावरणविदों ने भी चेतावनी दी है कि कूड़ा, प्लास्टिक और बोतल फेंकने की बढ़ती आदत इस अनोखी पर्वतीय धरोहर पर असर डाल रही है। सैलानियों के बढ़ते कदमों के साथ पर्यावरण संतुलन बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।
वन विभाग की पहल,जागरूकता और व्यवस्था दोनों
वन विभाग ने सैलानियों की भीड़ को देखते हुए जागरूकता अभियान तेज कर दिए हैं। प्रवेश द्वारों पर निर्देश बोर्ड लगाए गए हैं, गश्ती दल की तैनाती बढ़ाई गई है और पर्यावरण संरक्षण की अपील लगातार की जा रही है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षित और स्वच्छ पर्यटन ही राजदारी–देवदारी के भविष्य को बचा सकता है।
झरनों की आवाज के बीच सैलानियों की हंसी,वापस लौटा पुराना जादू
कुछ वर्षों पहले तक शांत रहने वाली ये घाटियां अब एक बार फिर उत्साह, रोमांच और कैमरों की क्लिक से भर गई हैं। झरनों की आवाज और सैलानियों की हंसी का मिश्रण ऐसा समां बांध रहा है कि राजदरी–देवदरी सर्दियों की छुट्टियों का पसंदीदा ठिकाना बन गया है।
ठंड ने एक बार फिर राजदरी–देवदरी को नए जीवन से भर दिया है।हालांकि, बढ़ती सैलानी भीड़ के बीच सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण प्रशासन की सबसे बड़ी परीक्षा होगी। यदि व्यवस्था और जागरूकता साथ चली, तो यह धरती का स्वर्ग आने वाले वर्षों तक यूँ ही चमकता रहेगा।

