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खेती-बाड़ी : खरीफ फसलों में कीट व रोग का खतरा, कृषि विभाग ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर, किसानों को देंगे घर बैठे सलाह

चंदौली। खरीफ फसलों पर मौसम की दगाबाजी भारी पड़ने लगी है। कम बारिश के चलते धान की फसल पर संकट मंडरा रहा है। वहीं रोग व कीटों के प्रकोप का खतरा भी बढ़ गया है। ऐसे में किसानों की मदद के लिए कृषि विभाग ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। इस पर फोनकर किसान घर बैठे सलाह ले सकते हैं।

 

जानिए क्या करें उपाय

जिला कृषि अधिकारी बसंत कुमार दुबे ने बताया कि धान की फसल में सकरी व चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के नियंत्रण के लिए प्रेटिलाक्लोर 50 फीसद, ईसी 1.50 लीटर अथवा एनीलोफास 30 प्रतिश, ईसी 1.25 से 1.50 लीटर अथवा पाइराजोसल्फ्यूरान इथाइल 10 प्रतिशत, डब्ल्यूपी का पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने पर खरपतवार की समस्या दूर हो जाएगी। दीमक व जड़ की सूड़ी के लिए क्लोरोपायरीफास 20 फीसद ढाई लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर फसल में छिड़काव करें। खैरा रोग के लिए पांच किलो जिंक सल्फेट 20 किलोग्राम यूरिया अथवा 2.50 किलोग्राम बुझे हुए चूने को प्रति हेक्टेयर की दर से 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। तना छेदक क्लूनालफास 25 फीसद ईसी को 1.5 लीटर 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

 

इन नंबरों पर करें फोन

कृषि विभाग की ओर से हेल्पलाइन नंबर 94522247111 व 9452257111 जारी किया गया है। इन नंबरों पर वाट्सएप की भी सुविधा उपलब्ध है। ऐसे में किसान धान अथवा खरीफ की अन्य फसलों में किसी तरह के रोग अथवा कीटों का प्रकोप होने पर इन नंबरों पर फोन कर विशेषज्ञों की सलाह ले सकते हैं। किसान रोगग्रस्त फसल की फोटो खींचकर भी इन नंबरों पर भेज सकते हैं। विशेषज्ञों की ओर से उचित सलाह दी जाएगी।

 

अगस्त में भी बारिश नहीं तो बोएं उर्द, मूंग

कृषि अधिकारी ने कहा कि यदि अगस्त माह के तीसरे सप्ताह में भी बारिश नहीं होती है तो किसान सितंबर माह में खेत में उर्द, मूंग व तोरिया आदि फसल बोएं। सरसो और राई भी बोई जा सकती है। फसलों का विरलीकरण करने से पौधों की संख्या कम हो जाएगी और पत्तियों से उड़ने वाली नमी का नुकसान कम होगा।

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