
चंदौली। जनपद में धान की कटाई और मड़ाई का कार्य अब अंतिम चरण में पहुंच गया है, वहीं गेहूं की बुवाई भी युद्ध स्तर पर किसान कर रहे हैं। जिस क्षेत्र में अभी छिटपुट ही गेहूं की बुवाई हुई है, धान की टिड्डिया गेहूं के कोमल पौधों को नुकसान पहुंचा रही हैं। टिड्डियाें को गेहू के पौधे काटते खाते आसानी से देखा जा सकता है । जिला कृषि रक्षा अधिकारी स्नेह प्रभा ने कहा कि किसानों को टिड्डियों से बचाव करने की जरूरत है ताकि गेहूं की पैदावार बेहतर हो सके।
किसान करें बचाव
* मेढ़ों के खरपतवारों की साफ-सफाई रखें।
- अपने खेत की नियमित निगरानी करते रहें ।
* यदि फसल सिंचाई करने की अवस्था में हो तो सिंचाई कर दें ।
* नीम आयल 1500 पीपीएम की 2-5 मिली. मात्रा प्रति लीटर पानी की दर या क्लोरपाईरिफॉस 1.5
प्रतिशत डीपी 25 किग्रा/ हेक्टेयर या लेम्डा – साइहैलोथ्रिन 2.5 प्रतिशत ई.सी. 500 मिली./ हेक्टेयर के
हिसाब से 350-500 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं ।

