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Chandauli News : तुलसी विवाह: संस्कार, विज्ञान, अर्थव्यवस्था और स्थानीय जीवन से जुड़ा पर्व

चंदौली। दीवाली के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी आती है, जिसे देवउठनी एकादशी या तुलसी विवाह कहा जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और शुभ कामों पर लगी रोक हट जाती है। इसके बाद ही शादी-ब्याह, गृह प्रवेश, दुकान खोलना, नए सौदे शुरू करना शुभ माना जाता है, लेकिन यह पर्व सिर्फ़ धार्मिक परंपरा नहीं है बल्कि इसके पीछे प्रकृति, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था, तीनों की गहरी समझ है। इसको लेकर LTP Calculator Financial Technology Pvt. Ltd. & Daddy’s International School & Hostel, Bishunpura Kanta, Chandauli, UP के Founder Dr. Vinay Prakash Tiwari ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। 

 

स्थानीय अर्थव्यवस्था का संबंध, चंदौली का परिप्रेक्ष्य

चंदौली का भौगोलिक स्वरूप इस पर्व के आर्थिक प्रभाव को और स्पष्ट करता है। यह जिला उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर स्थित है, और वाराणसी के बिल्कुल पास है। यानी यह क्षेत्र व्यापार और परिवहन का स्वाभाविक मार्ग है। यहां के बाज़ारों जैसे मुग़लसराय (पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर), धीना, सकलडीहा, सदर बाजार, सईदपुर रोड में दीवाली और देवउठनी के बाद खरीद-बिक्री अचानक तेज़ हो जाती है। चंदौली मुख्य रूप से धान, गेहूँ, चीनीकंद और सरसों का बड़ा उत्पादक जिला है।

 

कार्तिक-मार्गशीर्ष में धान की कटाई होती है

  • किसान के पास नया धन आता है
  • बाज़ारों में नकदी का प्रवाह बढ़ता है
  • कपड़ों, गहनों, फर्नीचर, मोटरसाइकिलों और घरेलू सामान की बिक्री में उछाल आता है
  • और गांव से लेकर कस्बों तक मेहनतकश लोगों को मजदूरी और रोज़गार मिलता है यानी, यह त्योहार आस्था के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था में गति भी लाता है।

 

बच्चों को इसका महत्व क्यों सिखाना चाहिए?

  • बच्चों को परंपराओं की सीख देता है यह पर्व
  • हमारी परंपराएँ प्रकृति को पूजने से शुरू होती हैं
  • जीवन का हर चरण पौधों, ऋतुओं और धरती के चक्र से जुड़ा है
  • और त्योहार सिर्फ़ भक्ति या मन्नत नहीं — घर-परिवार, समाज और अर्थव्यवस्था को जीवित रखने की प्रक्रिया हैं

 

जब बच्चा तुलसी को पानी देता है, उसके मन में सम्बंध, कर्तव्य और करुणा की जड़ पड़ती है।

 

वैज्ञानिक और स्वास्थ्य दृष्टि

दिवाली के बाद मौसम तेजी से बदलता है। इस बदलाव में शरीर कमजोर होता है। इस समय एकादशी पर हल्का भोजन / उपवास रखने की परंपरा है जो शरीर को डिटॉक्स करता है और इम्यून सिस्टम मजबूत करता है। तुलसी भी इसी ऋतु में सर्दी, खांसी और संक्रमण से बचाव करती है। यानी धर्म और विज्ञान यहाँ एक-दूसरे के पूरक हैं।

 

अर्थव्यवस्था में त्योहारों की भूमिका

 

  • देवउठनी एकादशी के बाद शादी का सीजन शुरू होता है।
  • बाज़ारों में रौनक लौटती है
  • हजारों लोगों को काम मिलता है

 

  • शादी में कइयों को मिलता है रोजगार
  • हलवाई
  • फूल वाले
  • ज्वेलर्स
  • डीजे
  • टेंट हाउस
  • परिवहन
  • कपड़ा दुकानदार
  • मजदूर

 

त्योहार भावनाओं का नहीं अर्थव्यवस्था का भी इंजन हैं।

 

तुलसी विवाह हमें याद दिलाता है कि

  • हमारी संस्कृति प्रकृति से शुरू होती है
  • त्योहार लोगों को जोड़ते हैं
  • और धर्म अर्थव्यवस्था को गति देता है
  • इसी में परिवार, समाज और आत्मा तीनों की ऊर्जा बसती है

 

इसीलिए बच्चों को तुलसी विवाह, एकादशी और ऋतु-चक्र समझाना उनके भविष्य की जड़ों को मजबूत करना है।

 

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