
चंदौली। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद पहली बार गुटबाजी सामने आई है। यह असंतोष चंदौली कांग्रेस के पदभार ग्रहण समारोह के दौरान देखने को मिला, जब नवनियुक्त जिलाध्यक्ष अरुण द्विवेदी के कार्यभार ग्रहण कार्यक्रम में निवर्तमान जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी गैरमौजूद रहे। पारंपरिक रूप से निवर्तमान जिलाध्यक्ष नए जिलाध्यक्ष को कार्यभार सौंपते हैं, लेकिन इस बार बिना उनकी उपस्थिति के ही कार्यभार ग्रहण की औपचारिकता पूरी कर दी गई। निवर्तमान जिलाध्यक्ष ने नए जिलाध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए।
कार्यक्रम केवल औपचारिकता बनकर रह गया
अरुण द्विवेदी के प्रथम जनपद आगमन पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पड़ाव से चंदौली तक कई स्थानों पर उनका स्वागत किया। मुख्यालय स्थित कमलापति त्रिपाठी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्होंने कांग्रेस के आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। इसके बाद चंद्रा त्रिपाठी भवन स्थित जिला कांग्रेस कार्यालय में कार्यभार ग्रहण किया। हालांकि, निवर्तमान जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी की गैरमौजूदगी के कारण पदभार सौंपने की परंपरागत प्रक्रिया अधूरी रह गई।
नए जिलाध्यक्ष ने दिया संगठन को मजबूत करने का संदेश
कार्यभार ग्रहण के दौरान अरुण द्विवेदी ने कहा कि वे कांग्रेस की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने और संगठन को मजबूत करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि छोटे-बड़े सभी कार्यकर्ताओं का सम्मान बढ़ाया जाएगा और पार्टी को नई ऊर्जा मिलेगी। पुराने कार्यकर्ताओं को साथ लाकर नए लोगों को जोड़ना उनकी प्राथमिकता होगी। कांग्रेस नेता देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि अरुण द्विवेदी एक मजबूत जिलाध्यक्ष साबित होंगे। इस अवसर पर धनंजय सिंह, शीतला सिंह, नारायण मूर्ति ओझा, डॉ. सुल्तान खां, गंगाराम समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
निवर्तमान जिलाध्यक्ष की अनुपस्थिति से बढ़ी गुटबाजी की अटकलें
नए जिलाध्यक्ष के स्वागत और कार्यभार ग्रहण कार्यक्रम को सुनियोजित तरीके से संपन्न किया गया, लेकिन निवर्तमान जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी की अनुपस्थिति ने पार्टी में गुटबाजी को उजागर कर दिया। वे न तो कार्यक्रम में पहुंचे और न ही पदभार सौंपने की औपचारिकता निभाई।
क्या है परंपरा?
परंपरा के अनुसार, निवर्तमान जिलाध्यक्ष नवागत जिलाध्यक्ष को कार्य से जुड़ा रजिस्टर सौंपते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इस पर धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि उन्हें कार्यक्रम की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई थी, इसलिए वे उपस्थित नहीं हुए। आरोप लग रहे हैं कि कि नए जिलाध्यक्ष भाजपा नेताओं के करीबी हैं। यूपी सरकार के एक राज्यमंत्री से उनकी काफी नजदीकियां हैं।