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Chandauli News : चंदौली में बढ़ रहा लंपी का प्रकोप, बीमारी से ग्रसित हुए दर्जनों पशु, पशुपालन विभाग मौन

चंदौली। जिले के धानापुर ब्लॉक अंतर्गत बूढ़पुर गांव और आसपास के इलाकों में लंपी रोग का प्रकोप दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। गांव में 32 पशु बीमारी की चपेट में हैं। जबकि पशुपालन विभाग की ओर से टीकाकरण और उपचार नहीं किया जा रहा है। इससे पशुपालकों में आक्रोश है। लोगों ने त्वरित अभियान चलाकर बीमारी के रोकथाम की पहल की मांग की है।

 

बूढ़पुर गांव में अब तक 32 पशु लंपी रोग की चपेट में आ चुके हैं। हालात इतने गंभीर हैं कि सोमवार को एक गाय की बछिया की मौत इसी बीमारी से हो गई। इसके बावजूद पशु अस्पताल विभाग की ओर से न तो कोई टीकाकरण कराया जा रहा है और न ही बीमार पशुओं का उपचार किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग का मौन साधे रहना बेहद चिंताजनक है।

 

इसी तरह नवघरा गांव में भी चार पशु लंपी रोग से ग्रसित पाए गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो बीमारी और तेजी से फैलेगी। क्षेत्र के अन्य गांवों में भी स्थिति कमोबेश यही है। राजस्व ग्राम बड़ौदा में राजेंद्र दुबे का बछड़ा और विनोद दुबे की गाय गंभीर रूप से इस बीमारी से जूझ रहे हैं। ग्राम बड़ौदा में ही इंद्रदेव यादव की गाय लंपी रोग से जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रही है, लेकिन अभी तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली है। ग्रामीणों का कहना है कि यह पशु कुछ ही दिनों की मेहमान है।

 

ग्रामीणों का आरोप है कि बड़ौदा, मिशिरपुरा, अमादपुर, तीनमोकरम, नवापुर, जगन्नाथ मिश्रा, सीता मिश्रा सहित आसपास के अधिकांश गांवों में लंपी रोग पूरी तरह फैल चुका है। इसके कारण आए दिन किसी न किसी पशु की मौत हो रही है। पशुपालकों का कहना है कि मवेशी उनके परिवार का हिस्सा हैं और उनकी मौत से वे आर्थिक और मानसिक रूप से टूट जाते हैं। ग्रामीणों ने डीएम चंदौली से गुहार लगाई है कि क्षेत्र में तुरंत लंपी रोग का टीकाकरण अभियान शुरू कराया जाए। उनका कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो पशुओं की बड़ी संख्या में मौतें हो सकती हैं, जिससे किसानों और पशुपालकों को अपार क्षति होगी।

 

पशुपालकों का यह भी कहना है कि विभाग के अधिकारी केवल कागजों में योजनाएं चलाते हैं, जबकि जमीन पर कोई काम नहीं दिख रहा। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर तत्काल कदम नहीं उठाया गया तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे। ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग अब और मौन नहीं रह सकते, उन्हें तुरंत सक्रिय होकर क्षेत्र में टीकाकरण और उपचार की व्यवस्था करनी होगी।

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