
चंदौली। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) डीडीयू पोस्ट ने “ऑपरेशन आहट” के तहत मानव तस्करी के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है। आरपीएफ टीम ने गुरुवार को दो अलग-अलग ट्रेनों से 7 नाबालिग बच्चों को बाल मजदूरी के लिए ले जाए जा रहे दो तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया। यह कार्रवाई आरपीएफ डीडीयू पोस्ट प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार रावत के नेतृत्व में बचपन बचाओ आंदोलन की सहायक परियोजना अधिकारी चंदा गुप्ता, चाइल्ड हेल्प डेस्क और सीआईबी टीम के संयुक्त प्रयास से की गई।
पहली कार्रवाई सुबह 8:45 बजे प्लेटफार्म संख्या 3 पर पहुंची ट्रेन संख्या 15668 अप गांधीधाम एक्सप्रेस में की गई। जांच के दौरान टीम ने जनरल कोच में चार नाबालिग बच्चों को डरे-सहमे हाल में पाया, जिनके साथ एक व्यक्ति संदेहास्पद रूप से मौजूद था। पूछताछ में बच्चों ने अपने नाम मिनतल कुमार (12 वर्ष), संजीत (17 वर्ष), अमन (14 वर्ष) और करण (16 वर्ष) निवासी कटिहार, बिहार बताया। बच्चों ने बताया कि उन्हें शिवम कुमार चौधरी (28 वर्ष) निवासी मनिहारी, कटिहार द्वारा जामनगर (गुजरात) ले जाया जा रहा था, जहां उन्हें सफाई कार्य में लगाया जाना था और इसके बदले 8 घंटे की ड्यूटी पर 8 हजार रुपये वेतन देने का वादा किया गया था। आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने इन बच्चों के अभिभावकों को प्रति बच्चा 2 से 3 हजार रुपये दिए और सभी का खर्च खुद उठाया है।
दूसरी कार्रवाई सुबह 9:06 बजे प्लेटफार्म संख्या 7 पर पहुंची ट्रेन संख्या 12987 अप (सियालदह-अजमेर) एक्सप्रेस में की गई। जांच में टीम को तीन नाबालिग बच्चे शंकर कुमार (17 वर्ष), रामप्रीत कुमार (15 वर्ष) और कीनू कुमार (16 वर्ष) निवासी चतरा, झारखंड मिले। बच्चों ने बताया कि उन्हें श्यामलाल भुइयां (33 वर्ष) निवासी मयूरहंत, चतरा, झारखंड द्वारा जयपुर के ब्रह्मपुरी इलाके में चूड़ी पर नगीना चिपकाने के काम के लिए ले जाया जा रहा था। आरोपी ने खुलासा किया कि उसने प्रत्येक बच्चे के अभिभावक को 5 हजार रुपये देकर सभी को अपने खर्चे पर मजदूरी हेतु बुलाया था।
इस सफल अभियान में उपनिरीक्षक अश्वनी कुमार, शरतचंद्र सिंह यादव, आरक्षी बृजेश सिंह, पवनेश कुमार सिंह, अशोक यादव, सीआईबी के सहायक उप निरीक्षक सतीश सिंह, सुभेष राय, बचपन बचाओ आंदोलन की चंदा गुप्ता और चाइल्ड हेल्प डेस्क के राधेश्याम सहित कई कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

