
रिपोर्ट: बाबू चौहान
चंदौली। जिले के शहाबगंज क्षेत्र के भोड़सर गांव के उभरते युवा क्रिकेटर अंकित यादव का इंडियन स्ट्रीट प्रीमियर लीग (आईएसपीएल) में चयन होना पूरे क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक क्षण साबित हुआ है। केवल 12वीं कक्षा में अध्ययनरत साधारण ग्रामीण परिवेश के इस प्रतिभाशाली युवक ने अपने अथक परिश्रम, संघर्ष और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर वह मुकाम हासिल किया है, जिससे बड़े शहरों के युवा भी प्रेरणा लेते हैं।
अंकित की सफलता की कहानी केवल खेल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संघर्ष, धैर्य और परिवार के अटूट समर्थन की प्रेरणादायक गाथा है। बहुत छोटी उम्र में ही पिता नरेंद्र यादव के निधन ने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया, लेकिन इसी कठिन समय में दादा कतवारू यादव ने पिता का स्थान लेकर अंकित को टूटने नहीं दिया। उन्होंने न केवल उसे पढ़ाई के लिए प्रेरित किया, बल्कि क्रिकेट में उसकी रुचि पहचानकर उसे हर कदम पर प्रोत्साहित किया। दादा के मजबूत संबल ने अंकित को आगे बढ़ने की शक्ति दी और उसके सपनों को पंख लगाए।
अंकित की वास्तविक क्रिकेटीय यात्रा तब शुरू हुई जब उन्हें दादा ने प्रशिक्षण के लिए वाराणसी के सिगरा स्टेडियम भेजा। ग्रामीण माहौल से निकलकर शहर के मैदान में खुद को साबित करना आसान नहीं था, मगर अंकित ने अपनी मेहनत और समर्पण के दम पर कोचों का ध्यान आकर्षित कर लिया। तेज गेंदबाजी, स्विंग और नियंत्रण के चलते वह धीरे-धीरे चयनकर्ताओं की नजरों में आने लगा। सुबह से शाम तक कठोर अभ्यास करने की उसकी आदत ने उसे बाकी खिलाड़ियों से अलग पहचान दिलाई।
आईएसपीएल ट्रायल में उसकी गेंदबाजी ने चयनकर्ताओं को खासा प्रभावित किया। ट्रायल के दौरान दिखाई गई रफ्तार, लाइन-लेंथ और आत्मविश्वास देखकर विशेषज्ञ उसके प्रदर्शन की सराहना करते नहीं थके। परिणामस्वरूप, अंकित का चयन न केवल पक्का हुआ बल्कि मिनी नीलामी में ‘टाइगर ऑफ कोलकाता’ फ्रेंचाइजी ने उस पर साढ़े छह लाख रुपये की बोली लगाकर उसके भविष्य पर बड़ा भरोसा जताया।
गांव के प्रधान प्रतिनिधि सत्येंद्र मौर्य, पूर्व प्रधान निरंजन मौर्या, सुरेश यादव, रत्नेश यादव, बूच्चन यादव सहित गांव के सभी लोगों ने अंकित की इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है। खुद अंकित का कहना है कि यह उसकी जिंदगी की नई शुरुआत है और वह अपने क्षेत्र व परिवार द्वारा जताए गए विश्वास पर खरा उतरने के लिए पूरी मेहनत करेगा।

